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दयाल शरण

Inspirational

2.5  

दयाल शरण

Inspirational

हिदायत

हिदायत

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मुश्किलें दर-बा-दर

खड़ी करते रहिये

मैं बढ़ रहा हूँ

हो सके तो रोकते रहिये।


मेरा वजूद जमीं से है

आप आसमां पे रहिये

कहीं दिख जाऊं तो

तफ्सरे से देखते रहिये।


मुकम्मल कौन है

गुमां हो तो रक्खे रहिये

रेत पे शौक से लिखिए

लहरों से मिटाते रहिये।


अपने घर आप

खुदा हैं तो बने रहिये

तसव्वुर में ही सही

कोई ख़याल बनाए रहिये।


शौक दहलीज से

बड़ा ना रखते रहिये

जितनी चादर हो

पाँव से उतना रहिये।


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