मिल गए हम अब न होना, दूर तुम मुझसे कभी एक दूजे में समाकर, एक हो जाए अभी। मिल गए हम अब न होना, दूर तुम मुझसे कभी एक दूजे में समाकर, एक हो जाए अभी।
शृंगार कर लिया दुल्हन सा शर्मिली निशा शरमा रही सुनील विभावरी छा गयी बेकल सुहाग मन की धरा पर शृंगार कर लिया दुल्हन सा शर्मिली निशा शरमा रही सुनील विभावरी छा गयी बेकल सुहा...
पलों को संदली बनादे, ऐसी नयी ग़ज़ल कहा कीजे... पलों को संदली बनादे, ऐसी नयी ग़ज़ल कहा कीजे...