है कर्म पथिक तुम अगर
है कर्म पथिक तुम अगर
समय का न इंतजार कर
है कर्म पथिक तू अगर
उफनते दुविधावों का संहार कर
पल भर के सुख का त्याग कर
मन में विश्व विजय का संचार कर
हृदय में विजय गीत का राग कर
समय का न इंतजार कर
है कर्म पथिक तू अगर
रख हस्ती ऐसी विशाल अनन्त
कर कर्म अगाध करके मनन्त
हो दृढ़ संकल्प ऐसी इच्छा प्रबल
तू अभय अति तेरे सक्षम भुजबल
समय का न इंतजार कर
है कर्म पथिक तू अगर
कर शपथ अभी तू पग बढ़ा
हिम्मत की एक प्रत्यंचा चढ़ा
कहीं ठहर मत बस बढ़ चल
विजय के इतिहास गढ़ चल
समय का न इंतजार कर
है कर्म पथिक तू अगर।
