भक्ति की ज्योत
भक्ति की ज्योत
प्रेम की धारा तेरी बहे रही है,
मुझ को तू पावन कर देना,
तेरे नाम का सुमिरन करूँ मैं,
भवसागर पार मुझे कर देना।
लख चौरासी में भटक गया हूँ,
अब मुझ को तू न भटकाना,
तेरे शरणों में आ गया हूँ मैं,
अंत समय मेरा सुधार लेना।
तू करुणा का सागर है श्याम,
तेरी कृपा मुझ पर बरसा देना,
भक्ति का दीप दिल में जलाकर,
जीवन उजागर मेरा कर देना।
जनम जनम का दास हूँ तेरा,
मुझ को तू दिल में समा लेना,
"मुरली" मधुर सुनाकर मुझ को,
परम आनंद में मग्न बना देना।