कविता- सब एक ही है।
कविता- सब एक ही है।
एक बच्चे को बड़े प्यार से,
पुकारा उन्होंने राम था।
उसी को किसी और ने
बड़े प्यार से पुकारा रहीम था।
जब राम पुकारा,
वह बच्चा उनके पास दौड़ा,
जब रहीम पुकारा वह उनके पास दौड़ा।
दोनों खुश थे,
समय बीता बच्चा बड़ा हुआ,
माता पिता को समझाना हुआ,
तू न राम है,
न तू रहीम है।
तू मेरी संतान,
मेरा आसमान है।
बेटा बडे असमंजस में था ,
माना कि उन्होंने पैदा नहीं किया था।
मगर बचपन से प्यार दोनों ने दिया था।
कुछ सोचा था उसने,
कुछ समझा था उसने।
बुलाया जब एक दिन उसको राम कहकर ,
बुलाया जब एक दिन उसको रहीम कहकर ,
वह खामोश था।
मगर जब बुलाया उसको,
हमारा बच्चा।
वो खुश हो गया था।
समझने के लिए इतना ही काफी है,
समझाने के लिए और नहीं बाकी है।
सब एक ही है, सब एक ही है।
