कुछ तुम कहो कुछ मैं कहूं
कुछ तुम कहो कुछ मैं कहूं
कुछ सपने मैं बुनूं
कुछ ख्वाहिशें तुम बुनो
दर्द के खंडहर मैं चुनूं
खुशियों के महल तुम चुनो
कुछ जग बीती तुम कहो
कुछ आपबीती मैं कहूं
कट जायेगा सफर
कुछ तुम कहो कुछ मैं कहूं
आहत मन मैं संभालूं
राहत की सांस तुम गिनो
मैं तुम्हारी व्यथा सुनूं
तुम मेरी कथा सुनो
कुछ नगद तुम ले लो
कुछ उधार मैं ले लूं
हो जायेगी बसर
कुछ तुम कहो कुछ मैं कहूं
चांदनी में मैं घुल जाऊं
चांद तारे तुम घेरो
प्रीत पलकों में मैं छुपा लूंगा
तान तृष्णा की तुम छेड़ो
तुम निर्झर का राग अलापो
मैं सागर में मिल जाऊं
चाह हो जायेगी पूरी
कुछ तुम कहो कुछ मैं कहूं
राह मैं दिखाऊं
रोशनी तुम जताओ
लक्ष्य को मैं संभालूं
मंजिल की आस तुम जगाओ
कठिन राहों में तुम ढलो
मैं रोड़ों को हटाऊं
कामयाबी हाथ लगेगी
कुछ तुम कहो कुछ मैं कहूं!