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Sheela Sharma

Romance

4  

Sheela Sharma

Romance

हिलोरे प्रीति की

हिलोरे प्रीति की

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आज मन क्यों उल्लास है 

जमीं की आसमां से हुई बात है

 फिजाओं ने छेड़ी राग

 हवाओं की घटाओं से हुई बात है


बहारों ने भी बरसाए फूल 

चांद की चांदनी से हुई बात है

भर रहा है रंग मुझ में

 मेरी मीत से हुई बात है


 रतनारे नैनों को पढ़कर

 हरसिंगार के फूलों से अभिषिक्त कर

सुमन सेज बिछ गई धरा पर

प्रियतम मुझ में रहो समाये

आत्मा मिलन की रात है।


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