देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान
देख तेरे संसार में कैसी हवा चली लहराने
डाली डाली लगी टूटने पत्ता लगा झड़ने
बचपन जवान होने से अब डरने लगा
फूल खिलता नहीं डाल में ही मरने लगा
कलियां कलियां सहम गई लगी मुरझाने
उस जमाने में कभी आंधियां भी चलती
तेज झोंको से दरोंदर को हिला देती
फिर नया जोश, भर जाती थीं परिंदों में
आज क्यों आग लगाती हैं आशियाने
कैसी ये आजादी न पायल न चूड़ियों
की खनक
हर सहमी हुई निगाह में बढ़ रही दहशत
अश्क सब सूख गये टीस बन लगे रिसाने
रात झींगुर का, ना वो गूंज बस सन्नाटा है
भोर सूरज के साथ पंछी, का ना वो चहचहाहट
आह!!कितनी जहरीली फिजा लगी गहराने