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Lipika Bhatti

Romance

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Lipika Bhatti

Romance

उनका दीदार

उनका दीदार

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ना इज़हार करा उसने,ना ही मैं कह सकी कभी,

किस्सा हमारी मोहब्बतों का,बस यूं ही चलता रहा,

कोई कुछ कह सके मुझे,यह उसे गवारा नहीं,

वो दीवाना मेरा,मेरे लिए दुनिया से लड़ता रहा….


महफिलों में दीदार होता था, जो उसका कभी,

और मुस्कुराहटों का सिलसिला यूंही चलता रहा,

कभी किसी गैर के लिए, मैंने खुद को संवारा नहीं,

उसे देखकर रंग मेरा खुद-ब-खुद निखरता रहा….


आंखों ही आंखों में जो हमारी बात होती थी कभी,

हाले दिल उसका मुझे यूंही पता चलता रहा,

दरमियां हमारे लाख दूरियां ही सही,

पर दिलों का फासला दिन-ब-दिन घटता रहा….



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