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Lipika Bhatti

Others

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Lipika Bhatti

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मायके की यादें

मायके की यादें

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जब तक थी मैं मां बाप की लाडली,

नहीं कभी किसी के उतरे कपड़े पहनें,

नहीं पड़े कभी किसी के ताने सहने,

नहीं किसी की जूठन खाई,

नहीं अश्कों की बरसात छुपाई…..


वो गुड़िया वो खेल खिलौने,

सावन के झूले, मां के मखमली बिछौने,

आज मुझे उनकी याद सताई,

'मां' पुकारा दिल ने आवाज लगाई…


कहां ओझल हो गए जाने,

वो मां के आलिंगन के सुंदर गहने,

जो चली फुरवा, उस पार से आई,

मेरे आंगन की सोंधी खुशबू लाई….


वो सखियों की बातें, वो हंसी ठिठोले,

आज मन के हर तार को खोलें,

क्यों है अनजान मुझसे आज मेरी परछाई,

भुला बैठी हर ख्वाहिश मैं, जब से पिया घर आई….



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