पाक मोहब्बत
पाक मोहब्बत
कोई माने या ना माने मैंने कोई गलत काम ना किया,
मन ही मन चाहा उनको कभी भी बदनाम न किया,
चाहत लिए दिल में उनकी हम यूं ही जिया करते थे,
कभी मोहब्बत का किस्सा हमने सरेआम ना किया,
वो देखकर भी हमें यूं अनदेखा कर दिया करते थे,
अपनी चाहत का हमने कभी उन्हें इल्जाम ना दिया,
गुफ्तगू ना करी चाहे हमने कभी भी उनसे,
नजरों से ही नजरों को उनकी मोहब्बत का पैगाम दिया,
यादों में अपनी बस उनको ही जिया करते थे,
फिर भी उन हसीन लम्हों का चर्चा गैरों से किसी शाम ना किया,
मान लिया उनको जो मुकद्दर मैंने अपना,
हर पल बस उनका नाम ले जिया,
मोहब्बत को अपने पाक् रखा इस कदर,
कभी भी चाहतों को अपनी मैंने बेलगाम ना किया!!
