प्रेम का नशा
प्रेम का नशा
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प्रेम का नशा ऐसा चढ़ा है मुझे
चेहरा मेरा गुलाल सा हो गया
तेरी बातों का सुरूर ऐसा चढ़ा मुझे
दीवानों सा मेरा हाल हो गया
बंद आंखों में तुम दिखने लगे मुझे
तुम्हें पाना एक खयाल सा हो गया
अपने बांहों का सहारा दे दो मुझे
तुम्हारे होने पर सवाल सा हो गया
क्यों इतना तुम सताने लगे हो मुझे
लगता कहीं के कोतवाल हो गए हो
मिलन की जल्दी है देखो बहुत मुझे
तुम्हारे इंतजार में बेहाल से हो गए है
तुम्हारे आने का खत मिला है मुझे
मन मेरा उड़ता रुमाल सा हो गया
अब आ भी जाओ सीने से लगा लो मुझे
कि तुम मेरी रुह के लिए कमाल से हो गए।