तन्हा शायरी
तन्हा शायरी
तुमसे मोहब्बत करने की
सजा हमको मिली है
तुम क्या जानो
गम-ए-तनहाई भी हमसे जली है ।
ये रिश्ते नाते सब
पैसे पर टिके होते हैं।
इनसे अच्छे तो जिस्म के सौदागर
जो एक मुश्त बिके होते हैं ।
तू भी रहमत का फरिशता बन
देख सिंकदर तेरे सजदे में आया है
खाली दिल खाली हाथ आया है
आज तेरे दर पर अपना सर झुकाया है