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Meena Mallavarapu

Romance

4  

Meena Mallavarapu

Romance

मैं हूं

मैं हूं

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मैं 'हूं' इससे बडी़ बात हो नहीं सकती

नहीं कुछ लेना देना मुझे ज़िंदगी से

इस पल के आगे पीछे-

निर्मल रहे हृदय सदा-दूर तंगदिली से

जानूं मैं ,बड़ी इससे चाह नहीं हो सकती!

रहूं आश्वस्त,रहूं संतुष्ट-ज़िंदगी तुझ से

जाने अनजाने दिल न दुखाऊं

किसी का-न हो मायूस मेरी वजह से

गैर कोई या अपना- इतनी सी ख़ुदपरस्ती

कर दे मेरे नाम - है इसमें स्वार्थ मेरा

जाने तू और जानूं मैं यह सच्चाई

मैं 'हूं' ,और ख़ूबसूरत यह पल मेरा

छीन न ले कोई इसे मुझसे ,कर जबरदस्ती!

सुकून की है चाह,सुख शांति की आस

हिंसा मुझसे न होती बर्दाश्त

किसी भी रूप में है नामंजूर यह त्रास

निर्विकार हो मेरी सोच, गरिमामय मेरी हस्ती!

मैं 'हूं' - है अपने होने पर नाज़ मुझे

न आए पल ऐसा ऐ ज़िंदगी

जब कर दूं अनजाने ही नाराज़ तुझे

कर देना मुआफ़-बिन तेरी रजा,क्या है मेरी हस्ती!



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