मैं हूं
मैं हूं
मैं 'हूं' इससे बडी़ बात हो नहीं सकती
नहीं कुछ लेना देना मुझे ज़िंदगी से
इस पल के आगे पीछे-
निर्मल रहे हृदय सदा-दूर तंगदिली से
जानूं मैं ,बड़ी इससे चाह नहीं हो सकती!
रहूं आश्वस्त,रहूं संतुष्ट-ज़िंदगी तुझ से
जाने अनजाने दिल न दुखाऊं
किसी का-न हो मायूस मेरी वजह से
गैर कोई या अपना- इतनी सी ख़ुदपरस्ती
कर दे मेरे नाम - है इसमें स्वार्थ मेरा
जाने तू और जानूं मैं यह सच्चाई
मैं 'हूं' ,और ख़ूबसूरत यह पल मेरा
छीन न ले कोई इसे मुझसे ,कर जबरदस्ती!
सुकून की है चाह,सुख शांति की आस
हिंसा मुझसे न होती बर्दाश्त
किसी भी रूप में है नामंजूर यह त्रास
निर्विकार हो मेरी सोच, गरिमामय मेरी हस्ती!
मैं 'हूं' - है अपने होने पर नाज़ मुझे
न आए पल ऐसा ऐ ज़िंदगी
जब कर दूं अनजाने ही नाराज़ तुझे
कर देना मुआफ़-बिन तेरी रजा,क्या है मेरी हस्ती!