अब मत बांधो मुझे मत करो मजबूर इतना कि तोड़ दूँ सब बंधन मत कहना फिर तुम विद्रोही हूँ मै अब मत बांधो मुझे मत करो मजबूर इतना कि तोड़ दूँ सब बंधन मत कहना फिर तुम विद्र...
उठी हुंकार मन मे ऐसी विद्रोह की, जैसे द्रोपती के चीरहरण की पुकार-सी! उठी हुंकार मन मे ऐसी विद्रोह की, जैसे द्रोपती के चीरहरण की पुकार-सी!
ए ज़िन्दगी, तू एक नई खोज है, मिलती सब को हररोज है। ए ज़िन्दगी, तू एक नई खोज है, मिलती सब को हररोज है।
पाँव अब रुकने नहीं हैं चाहे झँझावात हो। पाँव अब रुकने नहीं हैं चाहे झँझावात हो।
सबके विनाश में मिले सुकून भले हो खुद की हार। सबके विनाश में मिले सुकून भले हो खुद की हार।
hindikavita hindikavita