उठी हुंकार मन मे ऐसी विद्रोह की, जैसे द्रोपती के चीरहरण की पुकार-सी! उठी हुंकार मन मे ऐसी विद्रोह की, जैसे द्रोपती के चीरहरण की पुकार-सी!
क्या शूर्पनखा की मनमानी पर पर्दा यूं ही डाला जायेगा ? क्या शूर्पनखा की मनमानी पर पर्दा यूं ही डाला जायेगा ?
आकाश मार्ग से एक नारी की करुण पुकार सुन गिद्धराज। आकाश मार्ग से एक नारी की करुण पुकार सुन गिद्धराज।
झूठी माया, झूठी काया, फिर तू क्यूँ भरमाया रे, झूठी माया, झूठी काया, फिर तू क्यूँ भरमाया रे,
प्रलय की जब जग में बारी आई, जल बिन जग में हाहाकार हुआ प्रलय की जब जग में बारी आई, जल बिन जग में हाहाकार हुआ
मानवता के चीरहरण पर, अश्रु अविरल बह रहे, मानवता के चीरहरण पर, अश्रु अविरल बह रहे,