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Rekha Joshi

Others

4.5  

Rekha Joshi

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मैं तो बस अपना हक मांग रही हूँ

मैं तो बस अपना हक मांग रही हूँ

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यूँही सदियों से

चल रही पीछे पीछे

बन परछाई तेरी

अर्धांगिनी हूँ मै तुम्हारी

पर क्या

समझा है तुमने

बन पाई मै कभी

आधा हिस्सा तुम्हारा

बहुत सहन कर चुकी

अब मत बांधो मुझे

मत करो मजबूर

इतना कि तोड़ दूँ

सब बंधन

मत कहना फिर तुम

विद्रोही हूँ मै

नही समझे तुम

मै तो बस अपना

हक़ मांग रही हूँ

तुम्हारी

अर्धांगिनी होने का



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