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shraddha shrivastava

Abstract

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shraddha shrivastava

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आखिरी पता अपना दिया था

आखिरी पता अपना दिया था

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आखिरी पता अपना दिया था तुमने

वो थोड़ा थोड़ा जहन में याद है,

अब तो नया घर है तुम्हारा

वो कहाँ किसी को याद है !


वो आखिरी बार फ़ोन पे बात हुई थी

आवाज़ नहीं आ रही कह कर लाइन कट हुई थी,

वो आखिरी उबासी याद है

वो आखिरी उदासी याद है,

तुमसे सालों मिले भी नहीं फिर भी

वो आखिरी मुलाकात याद है !


आखिरी पता अपना दिया था तुमने

वो थोड़ा थोड़ा जहन में याद है,

अब तो नया घर है तुम्हारा

वो कहाँ किसी को याद है !


खामोशी कई सालों सुनी है

तुम्हारी फिर भी आवाज़

कुछ थोड़ी थोड़ी याद है,

क़भी बुखार में तप रहे होते थे तुम,

तो कभी किसी और की

बीमारी का किस्सा भी याद है !


आखिरी पता अपना दिया था तुमने

वो थोड़ा थोड़ा जहन में याद है,

अब तो नया घर है तुम्हारा

वो कहाँ किसी को याद है !


अन्त क्या खूब किया था मैंने रोयी भी थी

मुस्कुराई भी थी,

एक जहन में ही तो रखा था तुम्हें

उस जहन से भी विदाई दी थी,


मन ही मन कई खत लिखे थे तुम्हें

उन खातों को भी जलाई थी,

ना आग लगी थी ना धुंआ उठा था

फिर भी अंतिम विदाई दी थी !

आखिरी पता अपना दिया था तुमने….....…...


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