कितने हुए खिलाफ कितने साथ चल
कितने हुए खिलाफ कितने साथ चल
कितने हुए खिलाफ कितने साथ चल दिये
अरे छोड़िये ज़रा हिसाब गणित को माफ करिए!!
साथ वाले तो वैसे ही दिख जायेगे,
और शेर मैं गर जो तुम्हारे बल पड़ जाये तो दुश्मन तो वैसे ही मार जायेगे,
क्या करोगे हिसाब का
लेखा जोखा कर के मुश्किल वक़्त मैं तो चन्द हाथ ही काम आयेंगे!!
कितने हुए खिलाफ कितने साथ चल दिये
अरे छोड़िये ज़रा हिसाब गणित को माफ करिए!!
कोई एक ही होगा खास जो तुम्हारी नज़्म का सही अर्थ समझेगा,
मतलब तो हजार निकाला लेगे,
मग़र कोई एक ही होगा जो तुम्हारी नज़्म की सही नब्ज पकड़ेगा!!
कितने हुए खिलाफ कितने साथ चल दिये
अरे छोड़िये ज़रा हिसाब गणित को माफ करिए!!
बेवजह की भीड़ होगी तो बेवजह का शोर होगा
तुम्हारी नज्म का हर एक शब्द फिर बेचैन होगा
महफ़िल चाहते हो तो कद्र वालो को ही लाना
बेक़द्र जो आ गये तो तुम्हारा लिखा फिर कहाँ
मशहूर होगा!!
कितने हुए खिलाफ कितने साथ….....