Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

shraddha shrivastava

Others

4  

shraddha shrivastava

Others

सब छोड़ चले दिल कहता है

सब छोड़ चले दिल कहता है

1 min
304


सब छोड़ चले दिल कहता है,रुख मोड़ चले दिल कहता है,

थक जाते है जब कदम राह मैं दिल अक्सर ऐसी बाते कहता है!!

चुभते है जब ताने अपनो के मन विचलित हो जाता है,

दो दो बातें करता है तब दुविधा मैं ये होता है

कौन इसे समझाये फिर कौन सा पढ़ पढ़ाये

उल्टी गिनती ये ना सुने औऱ सीधी समझ ना पाये!!

सब छोड़ चले दिल कहता है,रुख मोड़ चले दिल कहता है,

मन के भीतर आग लगे जो तब पानी ना काम आये

खुद ही सोचो खुद ही समझो तब ज्ञानी काम ना आये,

तुमने बनाये रिश्ते तुम्हारी है ये चौखट,

तुम्हे ही दरवाज़ा ना मिले तो फिर कैसी है ये चौखट!!

सब छोड़ चले दिल कहता है,रुख मोड़ चले दिल कहता है,

कितने सारे नखरे दिल के, ऊपर से मन अलग भटकाये,

तुम कहाँ पे हो ये तुम समझ ना पाओ

ये दोनों मिलकर अपनी एक अलग आग लगाये

ऐसी तैसी कर देंगे ये तुम अपनी भी कुछ चलना

दिल औऱ मन के बीच मैं रहकर तुम अपनी भी,शाख जमाना!!

सब छोड़ चले दिल कहता है।


Rate this content
Log in