शख्सियत मेरी पढ़ लेते है वो
शख्सियत मेरी पढ़ लेते है वो
शख्सियत मेरी पढ़ लेते हैं वो,मुझको क़भी पढ़ा नहीं
सूरत देख के बस मर जाते हैं वो,मेरी सीरत का ज़िक्र तो कभी किया ही नहीं!!
बहुत चाहने वाले हैं ऐसे जो मेरी तस्वीर देखकर घ्याल हो जाते हैं,
तस्वीर मैं छुपे दर्द को फिर कहाँ वो पढ़ पाते हैं,
लाजवाब हैं सुंदरता आपकी ऐसे शब्द कहकर मन को मोहित करने मैं वो लग जाते हैं,
मन के भीतर की टीस फिर कहाँ वो समझ पाते हैं!!
शख्सियत मेरी पढ़ लेते हैं वो,मुझको क़भी पढ़ा नहीं
बहुत कम ही होते हैं जो रूह मैं शमा पाते हैं,
अंदर पल रह
े तमाम सवालों के जवाब बनकर वो सामने आते हैं,हाथ तो हर कोई थमाने को तैयार हैं मगर जो पूरा का पूरा तुम्हे थम ले ऐसे कम ही हैं इस संसार मैं!!
शख्सियत मेरी पढ़ लेते हैं वो,मुझको क़भी पढ़ा नहीं
सच्चा प्यार करते हैं तुमसे ऐसा बहुत लोग कह जाते हैं,
मग़र प्रेम की परीक्षा मैं कुछ ही अव्वल आते हैं
मैं नहीं तुम नहीं हम बनकर ही हमसफ़र बन पाते हैं
सूरत को बाद मैं देखते हैं सीरत को पहले रखते जाते हैं ऐसे लोग बहुत कम ही नज़र आते हैं!!
शख्सियत मेरी पढ़ लेते हैं वो…........