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shraddha shrivastava

Others

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shraddha shrivastava

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दोस्त के लिये चन्द पंक्तियां-

दोस्त के लिये चन्द पंक्तियां-

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तुम अजनबी ही तो थे तुम्हारा पहला संदेश रिश्तों को कहां कोई नाम दे पाता,

तुम्हारी पहली आवाज़ मुझे कहाँ सुनाई दी थी, क्योंकि तब एक पुरुष ने पुकार था!!

मैं उस वक़्त पलट कर आई जब लगा एक दोस्त ने आवाज़ दी है,

बहुत कुछ कहना चाह रहा है वो उसकी खामोशी ने आवाज़ दी है,

इतने सालों का अकेलेपन वो मिल कर बटाना चाहता है,

कोई और रिश्ता नहीं कोई और नियत नहीं वो बस साफ सुथरी दोस्ती निभना चाह रहा है!!

तुम अजनबी ही तो थे तुम्हारा पहला संदेश रिश्तों को कहां कोई नाम दे पाता,

अक्सर डर लगता है जब कोई पुरुष दोस्ती का हाथ बढ़ता है,

लेकिन तुमने दोस्ती के साथ-साथ भरोसे का भी हाथ बढ़ाया था,

बिना हाथ मिलाए ही दिल में घर बसाया था,

कुछ पुरुष होते है जो एक स्त्री के मन में एक सच्चे दोस्त की जगह बना लेते है,

तुम अजनबी ही तो थे तुम्हारा पहला संदेश रिश्तों को कहां कोई नाम दे पाता

आधी रात को भी आवाज़ दो तो एक दोस्त के रूप में मिला जाते हो,

आधी रात को एक स्त्री से बात करने वाला पुरुष साफ नियत के साथ भी आता है 

हर बार वो ग़लत ही हो ऐसा जरूरी नहीं हो पाता है!!

तुम अजनबी ही तो थे….......


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