"नव रस"
"नव रस"
"नव रस"
1. श्रंगार रस
स्वीकृति के आंगन में।
अनुभूतियों का विस्तार है।
मन के मन से।
जुड़ते तार हैं।
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2. वात्सल्य रस
प्यारी नन्ही परी।
पहेली सुलझाते।
खिलाते-खिलाते।
पलना में सोने चली।
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3. शांत रस
भावों की शीत लहर।
कोई व्यवधान कहां।
संस्कृति का गौरव गान जहां ।
है ह्रदय तीर्थ वहां ।
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4. वीर रस
उजाड़ उखाड़ ।
शेर की दहाड़।
बन गए प्रचंड।
रखने देश अखंड।
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5. हास्य रस
संपूर्णता में रहती हो।
अपूर्ण कहती हो।
पूरे घर का खाना।
अकेले हजम करती हो।
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6. भयानक रस
रूप विकराल ।
गले में रुंडमाल।
रक्त रंजित भाल।
असुरों का काल।
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7. रौद्र रस
शिव तांडव।
प्रचंड प्रहार।
हुई ललकार।
मचा हाहाकार।
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8.अद्भुत रस
चढ़ी एवरेस्ट बिना पैर।
हुए रोंगटे सबके खड़े।
दांतो तले उंगली दबे।
आंखें फाड़े खड़े रहे।
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9.करुण रस
कटी पतंग सी खड़ी।
भीगी पलकें।
कम्पित होंठ।
मदद की पुकार ।
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