नारी मूरत नही एक इन्सान है
नारी मूरत नही एक इन्सान है
नारी मूरत नहींं एक इन्सान है,
इस धरती की एक अलौकिक शान है।
खामोशी को उसकी तुम,
मत कमजोरी मानो ।
सबका हित जो करे उसे ,
कम नही किसी से जानो।
जन्म दे पालन पोषण करती ,
सह अन्याय नही कुछ कहती।
ताने सुनकर भी हित रत जो ,
नारी धन्य नमन है उसको।
नारी मूरत नहीं है जो वह ,
सब कुछ सह जाएगी ।
वो भी एक इन्सान है कैसे ,
ऐसे वह रह पाएगी।
जब दुख पाकर धीर भी हमने,
देखे यहां अधीर है।
सहानुभूति करके देखो ,
दिल मे कितनी पीर है ।
नारी नर आधार जगत के ,
उससे घर-परिवार है।
नारी को खुश रखो ,
नारी की महिमा अपरंपार है ।
नारी मूरत नहीं एक इन्सान है ,
इस धरती की एक अलौकिक शान है।।