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नन्द कुमार शुक्ल

Inspirational

3.8  

नन्द कुमार शुक्ल

Inspirational

नारी मूरत नही एक इन्सान है

नारी मूरत नही एक इन्सान है

1 min
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नारी मूरत नहींं एक इन्सान है,

इस धरती की एक अलौकिक शान है।

 खामोशी को उसकी तुम,

मत कमजोरी मानो ।

सबका हित जो करे उसे ,

 कम नही किसी से जानो।

जन्म दे पालन पोषण करती  ,

सह अन्याय  नही  कुछ कहती।

ताने सुनकर भी हित रत जो ,

नारी  धन्य नमन है उसको।

नारी मूरत नहीं है जो वह ,

सब कुछ  सह जाएगी ।

वो भी एक इन्सान है कैसे ,

ऐसे वह रह पाएगी।

जब दुख पाकर धीर भी हमने,

देखे यहां अधीर है।

सहानुभूति करके देखो ,

दिल मे कितनी पीर है ।

नारी नर आधार जगत के ,

उससे घर-परिवार है।

नारी को खुश रखो ,

नारी की महिमा अपरंपार है ।

नारी मूरत नहीं एक इन्सान है ,

इस धरती की एक अलौकिक शान है।।



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