रुकने से पहले
रुकने से पहले


थक गए होंगे लंबे सफ़र के बाद
रुकना मुनासिब नहीं ये भी मानते
जुनूँ जीने का थकने ना देता कभी
जोश हाज़िर तो थकान भाग जाते।।
रोक नहीं सकता बहाव को कोई
सैलाब को भला कौन टोक सके
तमाम कोशिशें अड़चनें हार गये
निकला तीर तू, कोई कैसे थाम सके।।
ज़मीन थी तेरी, होगा भी तेरा
छलांग जो भर ली आसमाँ भी तेरा
अलग जलाना तो जला लेते कई
जलाये रखना मकसद हो तेरा।।
अंधेरा है ज़रूर आस उजाले की
जुगनुओं की भांति उड़ते रहने की
पानी में लकीर क्यों खींच नहीं सकते
ताकते रहो उसके जम जाने तक की।।
कम आंकते जो खुश रहने दो उन्हें
सूरज उगने तक और सुबह होने तक
थकने के बाद, पर रुकने से पहले
खिलेगी रौशनी, दूर आसमाँ तक।।