STORYMIRROR

Anandbala Sharma

Inspirational

3  

Anandbala Sharma

Inspirational

देन

देन

1 min
168


अक्सर

सोचती हूँ

जीवन में

सहने पड़े

कितने दर्द


कैसे कैसे दर्द

चाहे अनचाहे दर्द

दर्द जितने सहे

दिल ने कहा

और सहो


शायद इन दर्दों के

गर्भ से ही

निकल जाए

कोई स्रोत आनंद का

फूट जाए कोई

आशा की किरण


किसी अपनेपन की

भावना से भीग जाए मन

और आभार प्रकट करे

उनको

जिनकी देन है यह दर्द ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational