देन
देन
अक्सर
सोचती हूँ
जीवन में
सहने पड़े
कितने दर्द
कैसे कैसे दर्द
चाहे अनचाहे दर्द
दर्द जितने सहे
दिल ने कहा
और सहो
शायद इन दर्दों के
गर्भ से ही
निकल जाए
कोई स्रोत आनंद का
फूट जाए कोई
आशा की किरण
किसी अपनेपन की
भावना से भीग जाए मन
और आभार प्रकट करे
उनको
जिनकी देन है यह दर्द ।