STORYMIRROR

Rajeshwar Mandal

Tragedy

4  

Rajeshwar Mandal

Tragedy

यात्रा विराम

यात्रा विराम

1 min
88

कुछ गुफ्तगू होंगी

कुछ चर्चे होगी 

कोई खुश तो कोई गमगीन होगा 

कांटे बना रहा जिनके आँखों का जीवन भर 

उनकी भी आँखें भी शायद आज नम होगी


पता नहीं वो सफर कैसा होगा 

कंटीले नुकीले या समतल होगा 

ईर्ष्याहीन द्वेषविहीन 

चित शांत मेरा 

तन मन निर्मल होगा ।


जो पन्ने अपाठ्य रहे जीवन भर 

वही पन्ने आज खूब पढ़े जाएंगे 

कुछ मन की बात 

कुछ मनगढ़ंत सी बात 

पर कुशल व्याख्या किये जाएंगे 

लोग चर्चा करेंगे मैं मौन रहूंगा 

हो सके प्रत्युत्तर न दे सकूँ 

पर मैं सब कुछ सुनता रहूंगा 

तुम पढ न सकोगे मेरे मन को 

पर मैं सबको पढता रहूंगा ।


एक आध घंटे की सफर होगा मेरा

पर एक सफरनामा लिख जाऊँगा 

हो सके तो पढ लेना इशारों में 

कुछ कड़वे टिप्स छोड़ जाऊँगा ।


शुन्य से शुरू 

शुन्य पर खतम 

एक सफरनामा होगा मेरा 

थक गया होऊँगा चलते चलते 

पर कुल यात्रा जीरो मीटर होगा ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy