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Yogeshwar Dayal Mathur

Abstract Inspirational Others

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Yogeshwar Dayal Mathur

Abstract Inspirational Others

खलिश

खलिश

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आंखों की पलकें नम हो गईं हैं

बातों के सिलसिले कम हो गए हैं

वक्त कुछ थम सा गया है 

खुशियों के लम्हे कम हो गए हैं


ना वक्त कभी ठहरा है 

ना खुशियाँ कम हुई हैं

दिल छोटा न कर

ये तकाज़ा उम्र का है

ये दायरा खलिश का है

 

माज़ी को याद कर 

मायूस ना हो

आंखें नम न कर

जिंदगी के सफर में 

एक ज़माना गुज़र गया है

हर उम्रदराज में 

यही सिलसिला है


न हो गर गुफ्तगू के लिए कोई पास

अपनी ही आवाज बुलंद कर

अपने से ही बात कर लिया कर


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