अपना एक हिस्सा
अपना एक हिस्सा
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ज़िन्दगी के रास्ते
मुखातिब हुए जिससे
रूबरू हुए जिससे
एक हिस्सा उधार दे दिया
उधार दिया तब से बेकली में
नज़र गड़ाए रहे
फिक्र लगाए रहे
नाज़ुक है ज़रा ध्यान रखो
उधार है ज़रा ध्यान रखो
मसलों का बाज़ार ले लिया
तर्ज़ में चूके
नीयत लुटाने की थी
बेगरज़ निभाने की थी
तो तोहफे में बेशुमार देते
तोहफा और असर उनका हुआ
संजो के रखें
खो के रखें
अंजान कोने में भुला दें
उसका होना मिटा दें
बेफिक्र मन से प्यार देते।