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Shruti Gupta

Inspirational

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Shruti Gupta

Inspirational

लकीर

लकीर

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एक लकीर से शुरू करो

उसमें और लकीरें जोड़ो

किरदार कम लगे तो

नए तजर्बों से मोड़ो

दरख्तों सा विशाल बनाओ या

दरख्त की शाखाओं सा बारीक

सांचे से एक सार बनाओ या

आती जाती बेचैनी से अबतरी

खो जाने दो लोगों को

नहीं मिलते सिरे तो

मिल जाने दो सीधे रास्ते

नहीं वो सरफिरे तो

नए आदि नए अंत बनाओ

सीमित नहीं अनंत बनाओ

ये सब लकीरें तुम्हारी हैं

अपने ढंग में कलाकारी है

किसी की समझ से परे हैं

होश बेखबरी से घिरे हैं

तो तुम्हारी नहीं

उसकी तलाश की बारी है


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