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Aprajita Deval

Classics

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Aprajita Deval

Classics

जब हम दुबारा मिले तो...

जब हम दुबारा मिले तो...

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प्रेम सिर्फ़ पास होने का नाम नहीं,

कभी-कभी ये दूर रहकर भी

साथ निभाने का साहस माँगता है।


तुम राम थे—

मर्यादा में जीने वाले…

और मैं सीता—

मर्यादा में मर जाने वाली।


तुमने त्याग चुना,

मैंने मौन।

तुमने वन देखा,

मैंने अग्नि।

पर फिर भी—

हमारे बीच

कोई शिकायत नहीं थी… बस स्मृति थी।


कभी-कभी सोचती हूँ,

अगर हम दोबारा मिलें,

तो न राम बनना तुम,

न सीता मैं—

बस इंसान बनकर,

एक-दूजे को थाम लें…

मर्यादाओं से परे।”


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