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प्रेम सिर्फ़ पास होने का नाम नहीं, कभी-कभी ये दूर रहकर भी साथ निभाने का साहस माँगता है। प्रेम सिर्फ़ पास होने का नाम नहीं, कभी-कभी ये दूर रहकर भी साथ निभाने का साहस माँ...
“मैं स्त्री हूँ… मैंने हर बार खुद को समेटा, ताकि कोई और पूरी जगह ले सके।” “मैं स्त्री हूँ… मैंने हर बार खुद को समेटा, ताकि कोई और पूरी जगह ले सके।”
हर चीज लिखी मुझ पर तूने मेरे अधिकार लिखना तू भूल गया। हर चीज लिखी मुझ पर तूने मेरे अधिकार लिखना तू भूल गया।
देख लिया है शहर को, चलो अब गांव चलते हैं।। देख लिया है शहर को, चलो अब गांव चलते हैं।।
कहीं न कहीं इश्क उसे भी है, इन्तजार हमारा वो भी करता है... ऐसा आपको भी लगता होगा ना किसी की सूरत देख... कहीं न कहीं इश्क उसे भी है, इन्तजार हमारा वो भी करता है... ऐसा आपको भी लगता होगा...
तो क्या अब हमें शायरी कहना चाहिए। तो क्या अब हमें शायरी कहना चाहिए।