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Shubham Anand Manmeet

Classics Others

4.5  

Shubham Anand Manmeet

Classics Others

अगली बार

अगली बार

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अगली बार

जब हम मिलेंगे

थोड़े मटमैले दिखेंगे

यादों से सने हुए

पश्चाताप में डूबे हुए नहाए हुए


अगली बार

जब हम मिलेंगे

हंसते हुए रो पड़ेंगे

टूट पड़ेगा यादों का बांध

जो थे हम मटमैले धूल कर निखर जाएंगे


अगली बार

जब हम मिलेंगे

नहीं निकलेगा मुँह से कोई शब्द

न ही बोल पाएंगे एक वाक्य भी

सारा आक्रोश पड़ जायेगा शिथिल


अगली बार

जब हम मिलेंगे

बैठे रहेंगे घण्टों एक साथ

फिर भी एक दूसरे से होंगे कोसों दूर

मीलों की यात्रा के रह जाएंगे निशां


अगली बार

जब हम मिलेंगे

गोधूलि की बेला होगी

सूर्य मद्धिम हो जाएगा

चिड़ियों की चहचहाहट में

गुम हो जायेगा

हमारे हिस्से का शोर


अगली बार

जब हम मिलेंगे

दिनकर प्रभामंडल में हो जायेगा

आच्छादित मखमली धूप

हमारे अंतर्मन को कर देगी

परिष्कृत


अगली बार

जब हम मिलेंगे

फिर से तरुण हो जाएंगे


✍🏻 शुभम आनंद मनमीत


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