गुरु का सम्मान
गुरु का सम्मान
गुरु हैं जीवन की वह ज्योति,
जो अंधकार मिटा दे छोटी।
ज्ञान के दीपक जलाकर सदा,
सही दिशा में चलाएँ कदम हमारा।
वे केवल पाठ नहीं पढ़ाते,
जीवन जीने की राह दिखाते।
त्याग-समर्पण से करते निर्माण,
सपनों को देते ऊँची उड़ान ।
गुरु ही हैं असली प्रेरणा,
सफलता का सच्चा सेतु ना।
उनका ऋण न चुका पाएँ हम,
वंदन है शिक्षक को बारम्बार।
वे संस्कारों का बीज बोते,
हर मन में उजियारा होते।
अनुशासन का पाठ सिखाते,
सदाचार से हमें सजाते।
गुरु बिना जीवन अधूरा,
उनसे ही सजे हर नूरा।
उनकी शिक्षा अमर निशानी,
गुरु ही जीवन की असली कहानी।
गुरु से मिलती शक्ति अपार,
जो कर दे हर बाधा पार।
संघर्ष में जो राह दिखाएँ,
हिम्मत से आगे बढ़ना सिखाएँ।
गुरु हैं धैर्य का सागर गहरा,
सच्चाई का दीपक सदा सुनहरा।
उनकी सीख से जग संवरता,
हर जीवन सुंदर पथ पर चलता।
गुरु ही हैं मूरत विश्वास की,
वे पहचान हैं हर प्रयास की।
उनके साए में खिलते सपने,
उनसे ही होते जीवन अपने।
गुरु ही ईश्वर का रूप महान,
जिनसे मिलता जीवन सम्मान।
गुरु के चरणों में है संसार,
उनको नमन है बारम्बार।
शुभम आनंद मनमीत
