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Shubham Anand Manmeet

Romance Classics Others

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Shubham Anand Manmeet

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सदा रहो मन के मीत

सदा रहो मन के मीत

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चाहता हूं ऐसे तुम को 

जैसे बाती संग हो दीप..!


रहती आँखों में मेरे तुम 

जैसे रक्खे मोती को सीप..!!


बिन तुम्हारे व्यर्थ जीवन 

बिन तुम्हारे लगे न मन..!


साथ छूटे न हमसफर 

तुम सदा रहो मन के मीत..!!


चाहता हूं ऐसे तुम को 

जैसे बाती संग हो दीप..!


- शुभम आनंद मनमीत


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