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Shubham Anand Manmeet

Romance Classics Others

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Shubham Anand Manmeet

Romance Classics Others

प्रेम अब खंडित रहेगा

प्रेम अब खंडित रहेगा

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मिल रही थी भाग्य रेखा किंतु इनको मोड़ डाला।
एक पल सोचा नहीं और बन्धनों को तोड़ डाला।।

मौन अधरों ने किये थे अनकहे संवाद तुमसे।
व्यर्थ था लेकिन मेरा इतना सरल अनुवाद तुमसे।।

मिल के बिछड़े खग युगल ये,
सर्वदा चर्चित रहेगा।
प्रेम खंडित कर गये तुम,
प्रेम अब खंडित रहेगा।।
शुभम आनंद मनमीत


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