किसी के पास रहकर भी उसे छू ना सके हम
किसी के पास रहकर भी उसे छू ना सके हम
किसी के पास रहकर भी, उसे छू ना सके हम,
पर किसी को दिल की गहराई में उतार चुके हम ,
दूर रहते हैं मगर, पर उसकी मधुर लहर,
हर धड़कन में बसती, उसकी खुशबू की गंध,
फिर भी दूर से देखकर, उसे देख लेते हैं हम,
ख्वाबों की रंगीनियों में, उसे जी लेते हैं हम।
कभी उसे छूने की, हिम्मत ना कर पाए हम,
पर उसकी यादों में, हर रोज़ बिछ जाए हम,
किसी के पास रहकर भी, पर उसके हो ना पाये हम,
दिल देकर भी उसके ना हो पाये हम।
सन्नाटे में गूंजे, उस नाम की आवाज़,
दिल के कोने में, बस जाए उसके एहसास की रूह,
सोचते हैं हर पल, किस ओर जाएँ हम,
प्यार की इस गहराई को पाएँ कहां हम।
किसी के पास रहकर, छूने का नाम न हो
पर किसी के दूर रहकर भी उस पर फ़िदा है हम।
