STORYMIRROR

Indira Mishra

Others

2  

Indira Mishra

Others

खो गई थी प्रकृति की गोद में...

खो गई थी प्रकृति की गोद में...

1 min
125

बरफ और बरफ से ढके हुए कितने रंगों के समाहार...

सफ़ेद नीला पिला हरा लाल रंगों के घने जंगल घेरा हुआ हे....

मेरे अस्तित्व को पूरी तरह पकड़ लिया था वो अपनी कब्जों में....

मेरा मन मेरा ना था किसने चूरा लिया था मुझे मुझसे...

कौन थी वो मेरे सपनों की स्वप्न सुंदरी आत्मा...

मेरे सुप्त चेतना धरती की सुन्दरता में समा गई थी..

हरी हरी वादियाँ खुला असमान हरे हरे जंगल

भीगे भीगे बादलों के साथ

जैसे कोई चित्रकार रंगों के छवि बनाता है अपने हाथों में....

मैं भी भूल गई थी अपनी आत्म सत्ता

खो गई थी प्रकृति की गोद में.....

उसके आकर्षण प्यार भरे एहसास आलिंगन उसकी बाहों में ....



Rate this content
Log in