मेरे लिए तुम, सब कुछ हो मेरी रातों की नींदें, चुरा ली तुमने मेरी मेरे लिए तुम, सब कुछ हो मेरी रातों की नींदें, चुरा ली तुमने मेरी
तभी तो कहती हूँ मेरी राख पर तेरे घर के फूल खिल जाएँ तो अच्छा । तभी तो कहती हूँ मेरी राख पर तेरे घर के फूल खिल जाएँ तो अच्छा ।
मेरा मन मेरा ना था किसने चूरा लिया था मुझे मुझसे... मेरा मन मेरा ना था किसने चूरा लिया था मुझे मुझसे...
बस कुछ इस तरह, अपनी जिन्दगी से खुद के लिए खुशियों के कुछ पल चुरा लेती हूँ। बस कुछ इस तरह, अपनी जिन्दगी से खुद के लिए खुशियों के कुछ पल चुरा लेती हूँ।