STORYMIRROR

Manju Rani

Drama Tragedy Crime

4  

Manju Rani

Drama Tragedy Crime

कोयल-सी

कोयल-सी

1 min
231

मेरी राख पर

तेरे घर के फूल खिल जाएँ

तो अच्छा

और

अगर वह उड़कर कालिख पोत जाएँ

तो मत कहना।


मेरी रूह कराहती थी

जब

तू मेरे घर का सुख चुरा ले जाती थी।

कोयल-सी मेरे नीड़ में घुस गई

और

मेरे चूज़े

मौसम की मार झेलते रहे

वे तो मासूम थे

मौसम के थपेड़ों से मजबूत हो गए।


पर क्या

तुम अपने अंतर्मन को सच बता पाई

कैसे तुम

मेरा घर झपट पाई ?

नहीं न।

तभी तो कहती हूँ

मेरी राख पर

तेरे घर के फूल खिल जाएँ

 तो अच्छा।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama