हम तो अंजान बनकर भटका करते हम तो अंजान बनकर भटका करते
कल सुबह कब कहाँ फिर ठिकाना मिले आज पहलू में ले रातभर के लिए! कल सुबह कब कहाँ फिर ठिकाना मिले आज पहलू में ले रातभर के लिए!
बड़ी खुशी मिली जब उनसे मिले और बात हुई ऐसा लगा जैसे सदियों के बाद बरसात हुई। बड़ी खुशी मिली जब उनसे मिले और बात हुई ऐसा लगा जैसे सदियों के बाद बरसात हुई।
मां गर्व से बलिहारी जाए इतने वीर अपनी कोख से उपजाए मां गर्व से बलिहारी जाए इतने वीर अपनी कोख से उपजाए
उसके लायक खेलने के लिए खिलौने कुछ भी नहीं, उसके लायक खेलने के लिए खिलौने कुछ भी नहीं,
बहुत मुश्किल था हर रिश्ता निभाना कितना भी सींचा न आया खिलाना हर बार सब करके कुछ कसर रह जाना न दे... बहुत मुश्किल था हर रिश्ता निभाना कितना भी सींचा न आया खिलाना हर बार सब करके क...