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Neerja Sharma

Others

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Neerja Sharma

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रिश्ते निभाना

रिश्ते निभाना

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काश! कोई डिप्लोमा होता 

काश! कोई डीग्री होती 

जिसे हाथ में ले गर्व से कहती 

गोल्ड मैडलिस्ट इन रिश्ते निभाना।


बहुत मुश्किल था हर रिश्ता निभाना 

कितना भी सींचा न आया खिलाना

हर बार सब करके कुछ कसर रह जाना

न देखा कभी फूल का मुस्कुराना।


माँ की नसीहतें भी फेल हो गई 

पढ़ाई-लिखाई भी भेंट चढ़ गई

जितना खुद को झुकाती चली गई 

उतनी रिश्तों की पकड़ ढ़ीली होती गई।


मेरे संस्कार मेरे काम न आए

सबके अहम मुझे ही दबाएँ

समझौते कर-कर हार गई मैं 

सबके 'मैं' में दबकर रह गई मैं।


क्यों हर बार लड़की ही झुके?

क्यों हर आशा उसी से रहे?

चारों पहर वो काम करती रहे 

फिर भी हर रिश्ता नाखुश रहे।


काश कोई फेवीकोल हो ऐसा 

काश कोई सीमैंट हो ऐसा 

जो रिश्तों के जोड़ में गाँठ न दे

जो रिश्तों की दिवार को मज़बूत कर दे।


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