Pawan Kumar
Others
ना जीवन में कोई कसर बाकी थी
ना जीवन में कोई फिकर बाकी थी
हम तो अंजान बनकर भटका करते थे
शरीर में जब तक जान बाकी थीं,
ना जीवन रहा ना रही ख़्वाहिश है
अब तो उंगलियों पर दिन गिना करते हैं,
सपने टूट जाते...
परिंदा
जीवन