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Pawan Kumar

Others

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Pawan Kumar

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जीवन

जीवन

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ना जीवन में कोई कसर बाकी थी

ना जीवन में कोई फिकर बाकी थी


हम तो अंजान बनकर भटका करते थे

शरीर में जब तक जान बाकी थीं,


ना जीवन रहा ना रही ख़्वाहिश है

अब तो उंगलियों पर दिन गिना करते हैं,


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