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Sriram Mishra

Romance Tragedy

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Sriram Mishra

Romance Tragedy

पत्थर दिल

पत्थर दिल

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मैं तो कई बरसों से तो खमोश था जनाब

तुम न आते समाने तो तुम्हारी याद न आती


चलो आ ही गये तो हाल बता दो

किस वर्ष मैं याद न आया वो साल दो


तो क्या तुम इतना पत्थर दिल हो गयी थी

की मैं कभी याद न आया इतना सो गयी थी


चलो मैं हमराज न सही हमदर्द बनके रहूंगा

तुम खुश रहो सदा भगवान से यही कहूँगा


अरे इसमें थैंक्स की क्या बात हो गयी है

थैंक्स करना है तो भगवान जी का करो


जिसने मुझे जीवन दिया तुम्हारा हाल लेने को

वरना बरसों बीत जाते मेरा शक्ल याद करने को  


और हम सिर्फ अपनो के ख्यालों में रह जाते

और तुम मेरी तस्वीर दिवारो पर टंगी देखते   


चलो अच्छा हुआ जो तुमसे मुलाकात हो गयी

मैंने जिसे अपना समझा उनसे बात हो गयी


अब मुझे मेरी जिंदगी से कोई शिकायत नहीं

क्योंकि अब मेरी जिंदगी में कोई कसर नहीं


बड़ी खुशी मिली जब उनसे मिले और बात हुई

ऐसा लगा जैसे सदियों के बाद बरसात हुई।


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உள்நுழை

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