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Sriram Mishra

Others

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Sriram Mishra

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मशाहूर कैसे हो जाऊँ

मशाहूर कैसे हो जाऊँ

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ऐसा क्या लिख दूँ की मशहूर हो जाऊँ। 

अपने और अपनो के नजर में कोहिनूर हो जाऊँ। ।


शहर शहर गलियों गलियों में बस नाम हो मेरा। 

दिलों की धड़कन और दिलों की तस्वीर बन जाऊँ। ।


आशीर्वाद सभी दिलों का मिलता रहे हमेशा। 

सबका हीरो और चाहने वालों का दोस्त बन जाऊँ। ।


किसी के लिए प्रेरणा और युवाओं के लिए आवाज बन जाऊँ। 

अपने माँ बाप का करूँ नाम रोशन उनके सर ताज कर जाऊँ। ।


ख्वाहिश बहुत ही है दिल में मगर क्या बताऊँ। ।

सोचता हूँ मरने से पहले अपने नाम, काम को सादाब कर जाऊँ।।


मेरे पास समय कम है या ज्यादा अब मैं क्या बताऊँ। 

अपने अन्दर के पीड़ा और दर्द को कितना छिपाऊँ।।


सोचता हूँ ऐसा क्या लिख दूँ की मशहूर हो जाऊँ।

अपनो और अपनो की नजर में कोहिनूर हो जाऊँ। ।


कभी दर्द लिखता हूँ कभी मोहब्बत, और क्या लिख जाऊँ। 

रहें याद हमारी लोगों में, ऐसी हस्ती ऐसा समसीर बन जाऊँ। 


मैं वही कहानियों का मुसाफ़िर राम हूँ आपको बताऊँ। 

क्योंकि कल मैं कब सुबह कब आख़री शाम हो जाऊँ। ।


हमारी यादें आपके दिलों में हमेशा रहें ऐसा अलख जगाऊँ।

ऐसा क्या लिख दूँ की मैं हमेशा के लिए मशहूर हो जाऊँ। 

अपने और अपनो की नजर में कोहिनूर बन जाऊँ। ।



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