मासूम इश्क
मासूम इश्क
तुम आज सिर्फ बोलती रहो।
और हम सिर्फ तुम्हें सुनते रहें।।
तुम्हारा चेहरा और ये हँसी वादियां ।
और हम सिर्फ ख्वाब बुनते रहें।
थोडे से फासले जरूर थे मगर।
पर वो तुम्हारा चाँद सा चेहरा।।
ऐसा मेरे दिल में जाकर बसा कि।
जैसे रब हीरे को कोहिनूर कर गये।।
अब तो कम्बख्त तेरा ही ख्याल रहता है।
और मेरा दिल और मेरा दिमाग कहता है।।
की रब ने शायद तुझे मेरे लिए भेजा है।
या फिर ये एक ख्वाब है या सजा है।।
पर फिर से रूबरू हुए तो बात जरूर होगा ।
तेरे दिल से मेरे दिल के मिलन की बात जरूर होगा।
मेरे दिल को भी थोडी तसल्ली होगी।
जब दिल की बातें लफ्जों में होंगी ।।
महौल कैसा भी हो जमाने को बता देना ।
किसी से डर नही है आपको यह दिखा देना।।
अगर बात लफ्जों से न कहना तो जरा मुस्कुरा देना।
हम आपके हर इशारे समझते हैं आप मेरे हो ये बता देना।।