रबाब की धुन में गाती हूं बस बदूइन सा फिरती हूं। रबाब की धुन में गाती हूं बस बदूइन सा फिरती हूं।
दिखती रहती हैं वो सदा एक मृग मरीचिका सी। दिखती रहती हैं वो सदा एक मृग मरीचिका सी।
मैं राज़ी हुूँ, चमड़ी उधेड़ निष्ठा दिखा दूॅं क्या आप है संग मरीचिका, सत्य नहीं। मैं राज़ी हुूँ, चमड़ी उधेड़ निष्ठा दिखा दूॅं क्या आप है संग मरीचिका, सत्य नहीं...