मरीचिका
मरीचिका
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क्या यह सत्य नहीं, की सत्य नहीं
चलता आ रहा नित्य, नित्य नहीं
सच्चाई झुठों की, यहााँ झूठ नहीं
क्या तथ्थो के तथ्थों मे, तथ्थ नहीं
कथ्थे सभी के है, सत्य अपने-अपने
क्या परछाई अपनी खुदकी, सत्य नहीं
सभी शरीफ़ है यहााँ, शराफ़तभी तो है
क्या हिंसक दंगे मन के, कृत्य नहीं
सभी रंग खुशबू देते हैं, अलग- अलग
क्या काला-सफ़ेद करना, मिथ्थ नहीं
मैं राज़ी हुूँ, चमड़ी उधेड़ निष्ठा दिखा दूॅं
क्या आप है संग मरीचिका, सत्य नहीं।