बिक जाती है कोई मजबूर बेरहमी के इस दरबार में। बिक जाती है कोई मजबूर बेरहमी के इस दरबार में।
क्या तुम मुझे कुछ ज्यादा नहीं बस इस तरह थोड़ा सा ही दुलारोगी ? क्या तुम मुझे कुछ ज्यादा नहीं बस इस तरह थोड़ा सा ही दुलारोगी ?
मैं राज़ी हुूँ, चमड़ी उधेड़ निष्ठा दिखा दूॅं क्या आप है संग मरीचिका, सत्य नहीं। मैं राज़ी हुूँ, चमड़ी उधेड़ निष्ठा दिखा दूॅं क्या आप है संग मरीचिका, सत्य नहीं...
कुछ दे रहे हैं नसीहतें - 'इतराओ मत, चार दिन की है चाँदनी' कुछ दे रहे हैं नसीहतें - 'इतराओ मत, चार दिन की है चाँदनी'