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Priyanka Gupta

Tragedy

4.6  

Priyanka Gupta

Tragedy

बाज़ारू रातें

बाज़ारू रातें

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रात बहुत चमकती है 

हुस्न के बाज़ार में

बिकती है अस्मत जहां

चंद लम्हों के प्यार में।


बस शरीर ही चाहिए 

चमड़ी के व्यापार में

रूह कहां होती है

इनके इस संसार में

बहुत क्रुरता होती‌‌ है।


जिस्मों के इज़हार में

रज़ा नहीं होती इनकी

रात भर के इकरार में

नहीं देती तबियत भी साथ

इनके दर्द भरे इनकार में।


बिक जाती है कोई मजबूर

बेरहमी के इस दरबार में।


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